बार-बार मचल जाता है ये मन "कितना मधुर था बचपन"। बार-बार मचल जाता है ये मन "कितना मधुर था बचपन"।
पूर्ण आहुति देकर तन की क्या संचित कर बैठे हो, करो आत्मविश्लेषण फिर से क्या गलती कर ब पूर्ण आहुति देकर तन की क्या संचित कर बैठे हो, करो आत्मविश्लेषण फिर से क...
फिर से नई कहानी शुरू हुई हो जैसे, फिर से वो सवालों के जवाब ढूंढ़ती रही हो जैसे। फिर से नई कहानी शुरू हुई हो जैसे, फिर से वो सवालों के जवाब ढूंढ़ती रही हो जैस...
"पता है सनम आधी रात हो चुकी होती है, फिर भी जगता हूँ मैं। चाहता हूँ तेरी तरह मैं भी चै "पता है सनम आधी रात हो चुकी होती है, फिर भी जगता हूँ मैं। चाहता हूँ तेरी तरह ...
बचपन के वो दिन बचपन के वो दिन
एक ज़वान की अपने पिता को ढांढस बंधाता साहस एक ज़वान की अपने पिता को ढांढस बंधाता साहस